‘कर्नाटक को यूपी वाले रास्ते पर…’, गृहमंत्री जी परमेश्वर के बुलडोजर एक्शन वाले बयान पर क्या बोले पी. चिदंबरम?
कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम ने कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर के उस बयान पर हैरानी जताई है, जिसमें उन्होंने राज्य में नशीली दवाओं की तस्करी से कमाए गए रुपयों से बनाई गई इमारतों पर बुलडोजर एक्शन लेने की बात कही थी.
बिना विधिवत प्रक्रिया के घरों को गिराना गैरकानूनी- चिदंबरम
देश के पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि कांग्रेस बुलडोजर न्याय के खिलाफ है. उन्होंने कर्नाटक सरकार से अपील करते हुए कहा कि वह घरों को गिराने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के नजरिए के खिलाफ जाकर ‘अवैध मार्ग’ न अपनाएं.
कांग्रेस सांसद ने लिखा, ‘कर्नाटक के गृहमंत्री के उस बयान से मैं चिंतित हूं जिसमें उन्होंने कहा है कि ड्रग तस्करों के घरों को गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया जा सकता है. मुझे उम्मीद है कि यह रिपोर्ट गलत है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि विधिवत प्रक्रिया के बिना घरों को गिराना गैरकानूनी है और इससे परिवार के अन्य सदस्यों के आश्रय के मौलिक और मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा.’
I am alarmed by the reported statement of Karnataka’s Home Minister that bulldozers may be used to demolish the homes of drug peddlers
I hope the report is wrong
The SC has declared the law: demolishing homes without due process of law is illegal and will violate the…
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) December 12, 2025
उन्होंने आगे कहा, ‘इसके अलावा, कांग्रेस पार्टी का मानना है कि उत्तर प्रदेश में अपनाई जाने वाली बुलडोजर न्याय की नीति गलत, अवैध और अन्यायपूर्ण है. कर्नाटक जैसे कांग्रेस शासित राज्य को उत्तर प्रदेश के अवैध रास्ते पर नहीं चलना चाहिए.’
कर्नाटक के गृह मंत्री ने विधानसभा में क्या कहा था?
गुरुवार को इससे पहले, जी. परमेश्वर ने विधानसभा में कहा था कि सरकार नशीली दवाओं की तस्करी से प्राप्त धन से बनाई गई इमारतों को ध्वस्त कर देगी.
पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट के नवंबर 2024 में सीजेआई बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच की कमेंट का संदर्भ दिया है. जिसमें बेंच ने कहा था कि किसी घर पर इसलिए बुलडोजर चला दिया जाए क्योंकि घर में रहने वाला व्यक्ति आरोपी है या किसी अपराध में दोषी ठहराया गया है, ये पूरे परिवार को दंड लगाने के बराबर है. शीर्ष अदालत ने कहा था, ‘हमारे विचार में, हमारी संवैधानिक व्यवस्था और आपराधिक न्यायशास्त्र कभी भी इसकी अनुमति नहीं देंगे.’
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Source: www.abplive.com
Published: 2025-12-12 23:24:00
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